इलाके के बच्चों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्रदान करने वाली शैक्षणिक संस्था सेंट बचनपुरी इंटरनेशनल स्कूल पक्खो कलां में पंजाबी मां बोली और बच्चों में साहित्य के प्रति रुचि पैदा करने के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं। समय-समय पर साहित्यक सैमिनार, सरगर्मियों द्वारा प्रसिद्ध लेखकों, विद्वानों और साहित्य प्रेमियों से बच्चों को रूबरू करवाया जाता है और समाज का मार्गदर्शन करने वाली पुस्तकों को विद्यालय की लाइब्रेरी में उचित स्थान दिया जाता है। शुक्रवार को स्कूल के चेयरमैन रविंदरजीत सिंह बिंदी, सागरजीत सिंह खिपल (डायरैक्टर) ने प्रसिद्ध पत्रकार, समाजसेवी और प्रसिद्ध साहित्य प्रेमी यादविंदर सिंह भुल्लर का संस्था में स्वागत किया। साहित्य के खजाने को संभालने के विशेष प्रयासों की सराहना करते हुए स्कूल की लाइब्रेरी के लिए भेट किए सैट नावल "मनहु कुसुधा कालिया" के लिए उनका धन्यवाद करते हुए लेखक और साहित्य प्रेमी यादविंदर सिंह भुल्लर को छात्रों और अध्यापकों के सम्मुख करवाते हुए बताया गया कि भले ही वह पेशे से एक पत्रकार है, वह पिछले समय से लोगों को रचनात्मक, गुणवत्तापूर्ण साहित्य से जोड़े रखने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं। वह इससे पहले सफरनामे, गीत संग्रह, बाल संग्रह, वार्तक पुस्तक साहित्य प्रेमियों के सम्मुख रख चुके हैं और रंगमंच के क्षेत्र में अपनी विशेष छाप छोड़ चुके हैं। हाल ही में रिलीज हुई उनकी 6वीं किताब 'मनहु कुसुधा कालिया' को हर वर्ग के पाठकों ने सराहा है। उन्होंने इस नावल के जरिए पढ़े-लिखे लोगों का रुझान भोले-भाले लोगों को गुमराह करने वाले डेरे और तथाकथित साधु संतों के प्रति दिखाया है। यह नॉवल लोगों को दिशा देने वाला है जो कि आज के समय की मांग है ताकि लोग तथाकथित साधु संतों और डेरा वाद के चंगुल से बच सके। लेखक यादविंदर सिंह भुल्लर ने संस्था की लाइब्रेरी को अपने नव प्रकाशित नावल 'मनहु कुसुधा कालीया' के सैट भेट किए ताकि आज के डेरावाद, अखौती साधुओं/संतों के बारे में छात्रों को पता लग सके और आगे वह अपने परिवार और समाज को इस संबंधी सचेत कर सकें। लेखक यादविंदर सिंह भुल्लर ने संस्था द्वारा साहित्यिक सरगर्मियों और बच्चों को अच्छी साहित्य किताबें पढ़ने के लिए बनाई गई विशाल और आधुनिक लाइब्रेरी की प्रशंसा की। वह लाइब्रेरी अंदर किताबों के लगे भंडार को देखकर काफी प्रभावित हुए। इस अवसर पर संस्था के चेयरमैन रविंदरजीत सिंह बिंदी, सागरजीत सिंह खिपल (डायरैक्टर), साहित्य प्रेमी यादविंदर सिंह भुल्लर, प्रिंसिपल अमनदीप कौर, डेविड भुल्लर, सुरखाब गैवी बरनाला सहित सभी अध्यापक और छात्र हाजिर थे।